जय श्री श्याम मेरा प्यार कुछ भी नहीं तेरे प्यार के आगे ॥ मेरी भक्ति कुछ भी नहीं तेरे दीदार के आगे ॥ फिर भी अपनी किस्मत पे इतराता हूँ श्याम , जब सर झुकता है , तेरे दरबार के आगे ॥ जय श्री श्याम
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