ऐ बाबा श्याम ना रईश हूँ न अमीर हूँ न बादशाह और ना ही वजीर हूँ “बाबा ”तेरी भक्ति ही मेरी सल्तनत है , बस उसी सल्तनत का फकीर हूँ मैं” बाबा” ।। जय श्री श्याम।।
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